लालू यादव की पार्टी के विधायक के ठिकानों पर छापेमारी के बाद सहकारी बैंक 'धोखाधड़ी' मामले में 5 गिरफ्तार

2 - 12-Jan-2025
Introduction

वैशाली शहरी विकास सहकारी बैंक घोटाले के सिलसिले में की गई गिरफ़्तारियों के कारण वरिष्ठ आरजेडी विधायक और लालू प्रसाद यादव के करीबी आलोक मेहता की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मेहता के दो रिश्तेदारों - रामबाबू शांडिल्य और विपिन तिवारी - सहित पाँच लोगों को गिरफ़्तार किया है, जिससे उनके सामने आने वाली संभावित कानूनी और राजनीतिक चुनौतियों के बारे में अटकलें तेज़ हो गई हैं। आरजेडी प्रमुख लालू यादव से उनकी निकटता और पार्टी के भीतर मेहता की प्रमुखता को देखते हुए, इस घटनाक्रम का राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राजनीतिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। चर्चाएँ तेज़ हैं कि जाँच के गहराने के साथ मेहता खुद भी जाँच के दायरे में आ सकते हैं, जिससे अधिकारियों की ओर से आगे की कार्रवाई की संभावना बढ़ सकती है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वैशाली शहरी विकास सहकारी बैंक से जुड़े 85 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच तेज कर दी है और मामले में महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। एजेंसी ने कई शहरों में छापेमारी की और गिरफ्तारियां कीं, जिससे प्रमुख हस्तियों से जुड़े कथित वित्तीय अनियमितताओं का जाल उजागर हुआ।

ईडी ने वैशाली सहकारी बैंक के सीईओ विपिन तिवारी को उनके ससुर रामबाबू शांडिल्य (पूर्वांचल सहकारी बैंक गाजीपुर में 30 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़े), नितिन मेहरा (दिल्ली), संदीप सिंह (कोलकाता) और पंकज तिवारी (वाराणसी) के साथ गिरफ्तार किया। जबकि तीन आरोपियों (नितिन मेहरा, रामबाबू शांडिल्य और पंकज तिवारी) को शनिवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, विपिन तिवारी और संदीप सिंह से पूछताछ जारी है।

पटना, वाराणसी, दिल्ली, कोलकाता और अन्य स्थानों पर छापे मारे गए, जिनमें राजद विधायक आलोक मेहता और उनके सहयोगियों से जुड़े ठिकाने भी शामिल हैं। बैंक के चेयरमैन संजीव कुमार भी जांच के घेरे में हैं और ईडी की लगातार छापेमारी के बावजूद उनका पता नहीं चल पाया है।

वैशाली शहरी विकास सहकारी बैंक की स्थापना 35 साल पहले आरजेडी विधायक आलोक मेहता के पिता तुलसीदास मेहता ने की थी। आलोक मेहता 1995 से 2012 तक बैंक के चेयरमैन रहे। हालांकि, 2015 में आरबीआई ने बड़े पैमाने पर गबन के आरोपों के चलते बैंक के वित्तीय संचालन पर रोक लगा दी थी। जून 2023 में आरबीआई की रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर घोटाले का खुलासा हुआ, जिसके चलते हाजीपुर में तीन एफआईआर दर्ज की गईं और ईडी ने जांच अपने हाथ में ले ली।

बैंक के इतिहास से आलोक मेहता के संबंध और चल रही जांच में उनके सहयोगियों की संलिप्तता राजद विधायक के लिए मुसीबत बन सकती है। बैंक के चेयरमैन के तौर पर उनका कार्यकाल जांच के दायरे में है और ईडी पिछले ऑपरेशनों में उनकी भूमिका की जांच कर सकता है।

Comments
Load more comments.
Please Login or Sign up to comment.

Search Gyanva

Press "Enter" to search.

More from Publication

What we offer ?

We offer you a platform to publish your experience, knowledge and research with rest of the world. All you need is to sign up and create your own publication on Gyanva.
logo
facebook youtube