Introduction
उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने कर्मियों के लिए पूर्ण बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू करके डिजिटल महाकुंभ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पारंपरिक कागज़-आधारित रिकॉर्ड से हटकर, इस भव्य आयोजन के लिए तैनात पुलिसकर्मियों की उपस्थिति अब डिजिटल रूप से दर्ज की जाएगी, जिससे समय की बचत होगी और रिकॉर्ड के रखरखाव में सुविधा होगी।
महाकुंभ-2025 के लिए ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिस कर्मियों को इस आयोजन में उनकी भूमिका के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। चल रहे प्रशिक्षण सत्रों के दौरान उनकी उपस्थिति बायोमेट्रिक रूप से दर्ज की जाती है, जिससे समय की बचत होती है और रिकॉर्ड प्रबंधन सरल होता है। महाकुंभ-2025 में भाग लेने वाले अनुमानित 40 करोड़ श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगभग 50,000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया जाएगा।
एसएसपी कुंभ मेला राजेश द्विवेदी ने निरंतर प्रशिक्षण के महत्व पर जोर दिया, जिसमें सॉफ्ट स्किल, आपदा प्रबंधन और आयोजन स्थल की भौगोलिक जागरूकता शामिल है। उन्होंने कहा कि बायोमेट्रिक उपस्थिति से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि रिकॉर्ड की सटीकता भी बढ़ती है।
उन्होंने कहा, 'पहले, उपस्थिति के लिए पारंपरिक रजिस्टर बनाए रखना मुश्किल था, लेकिन डिजिटल उपस्थिति ने हमें इन झंझटों से मुक्त कर दिया है।' प्रशिक्षण का पहला और दूसरा चरण, जिसमें 10,000 से अधिक पुलिस कर्मी शामिल हैं, पहले ही पूरा हो चुका है, जबकि तीसरा चरण अभी चल रहा है। महाकुंभ में ड्यूटी के लिए उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों से कर्मी आ चुके हैं।
उनका पूरा विवरण बायोमेट्रिक सिस्टम में सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया गया है, जिससे आयोजन के दौरान कार्यबल की उचित निगरानी और प्रबंधन सुनिश्चित हो सके। दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक समागम महाकुंभ मेले में श्रद्धालु 13 जनवरी से 26 फरवरी तक एक महीने से अधिक समय तक गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हुए दिखाई देंगे।
उल्लेखनीय है कि कुंभ मेला एक धार्मिक तीर्थयात्रा है, जिसे 12 वर्षों के दौरान चार बार मनाया जाता है। इसका भौगोलिक स्थान देश में चार स्थानों पर फैला हुआ है और मेला स्थल चार पवित्र नदियों पर स्थित चार तीर्थस्थलों में से एक के बीच घूमता रहता है।